बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण की हलचल तेज हो चुकी है, लेकिन इस बार सुर्खियों में कोई विरोधी दल नहीं, बल्कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) खुद है। चिराग पासवान को उनकी ही पार्टी के मजबूत गढ़ खगड़िया से बड़ा राजनीतिक झटका लगा है।
📍 38 नेताओं ने दिया एक साथ इस्तीफा
23 जुलाई को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी द्वारा मनीष कुमार उर्फ नाटा सिंह को खगड़िया जिलाध्यक्ष बनाए जाने के बाद, पार्टी में विद्रोह शुरू हो गया। इसका विरोध करते हुए पूर्व जिलाध्यक्ष शिवराज यादव, प्रदेश महासचिव रतन पासवान, युवा जिलाध्यक्ष सुजीत पासवान समेत कुल 38 नेताओं ने सामूहिक रूप से पार्टी छोड़ दी।
बलुआही में हुई एक बैठक के बाद इन नेताओं ने एक खुला पत्र जारी कर पार्टी नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर दिया।
💬 सांसद राजेश वर्मा पर गंभीर आरोप
नेताओं ने पार्टी के खगड़िया सांसद राजेश वर्मा पर आरोप लगाया कि वे कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हैं और उनकी वजह से पार्टी में आंतरिक माहौल बिगड़ा है।
रतन पासवान ने बताया कि सांसद के इशारे पर पुराने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी और उन्हें शो-कॉज नोटिस जारी किए गए थे।
❓ बिना विचार के की गई नियुक्ति
नेताओं का आरोप है कि नाटा सिंह की नियुक्ति बिना किसी विचार-विमर्श और संगठनात्मक सहमति के की गई, जो पार्टी के अंदर तानाशाही रवैये को दर्शाता है।
🚫 सांसद के प्रतिनिधि का खंडन
इन आरोपों पर सांसद राजेश वर्मा के मुख्य प्रतिनिधि डॉ. पवन जायसवाल ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का था और विरोध करने वाले नेता निजी स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने इस बयान को “अनर्गल और अनुशासनहीनता” बताया।
🗳️ चुनाव से पहले लोजपा में असंतोष का संकट
बिहार चुनाव से ठीक पहले खगड़िया जैसी अहम जगह पर लोजपा के अंदर इस तरह का विद्रोह चिराग पासवान के नेतृत्व के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण संकेत है।
खगड़िया, रामविलास पासवान की जन्मभूमि रही है और यहां की राजनीति पार्टी के लिए भावनात्मक और रणनीतिक रूप से अहम रही है।
अब सवाल ये है कि क्या चिराग पासवान इस अंदरूनी विद्रोह को समय रहते शांत कर पाएंगे, या फिर लोजपा को इस चुनाव में भी एक बार फिर भारी कीमत चुकानी पड़ेगी?
📊 राजनीतिक विश्लेषण
- लोजपा (रामविलास) पहले ही अलगाव और विभाजन से जूझ रही है
- बिहार की राजनीति में इस समय NDA और INDIA गठबंधन के बीच मुकाबला है
- लोजपा को अगर खुद को तीसरी ताकत के रूप में प्रस्तुत करना है, तो आंतरिक एकता बनाए रखना ज़रूरी है
🗞️ मुख्य बातें :
- खगड़िया में लोजपा (रामविलास) में विद्रोह, 38 नेताओं ने एक साथ पार्टी छोड़ी
- नए जिलाध्यक्ष मनीष सिंह की नियुक्ति पर विवाद, विरोध में हुआ इस्तीफा
- सांसद राजेश वर्मा पर कार्यकर्ताओं के अपमान का आरोप
- बिहार चुनाव से पहले पार्टी में गहराया संकट, चिराग पासवान के नेतृत्व पर सवाल
🧾 निष्कर्ष :
बिहार चुनाव से पहले लोजपा (रामविलास) को खगड़िया में नेताओं के सामूहिक इस्तीफे से बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। जिलाध्यक्ष की विवादित नियुक्ति और सांसद पर लगे दुर्व्यवहार के आरोप पार्टी की स्थिति को कमजोर कर सकते हैं। चिराग पासवान के लिए यह समय संगठन में पारदर्शिता और संवाद स्थापित करने का है। अन्यथा, यह विद्रोह पार्टी के भविष्य के लिए घातक साबित हो सकता है।
📌 रिपोर्ट पढ़ें 👉 www.box24news.com
📲 फॉलो करें @box24newsupdate — बिहार की हर राजनीतिक हलचल पर हमारी खास नज़र