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ब्रजेश सोलंकी रेबीज से मौत: कबड्डी खिलाड़ी की जान गई, नहीं लिया था टीका

by Box24News
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ब्रजेश सोलंकी रेबीज से मौत: कबड्डी खिलाड़ी की जान गई, नहीं लिया था टीका

कबड्डी का सितारा, पिल्ले की दया और एक दुखद अंत

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के फराना गांव का 22 वर्षीय ब्रजेश सोलंकी, राज्य स्तर का कबड्डी खिलाड़ी और प्रो कबड्डी लीग में खेलने का सपना देखने वाला होनहार युवा था। लेकिन एक मासूम गलती और जागरूकता की कमी ने उसकी जान ले ली। कुछ हफ्ते पहले उसने एक पिल्ले को नाले से निकालते वक्त मामूली काटने का अनुभव किया था। दुर्भाग्य से, उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया और एंटी-रेबीज वैक्सीन नहीं ली।


रेबीज के लक्षण दिखने पर बिगड़ी हालत

कुछ सप्ताह तक वह सामान्य रहा, लेकिन 26 जून को अभ्यास के दौरान उसे हाथ में सुन्नता महसूस हुई। हालात बिगड़ते गए और जब उसे पानी से डर लगने लगा तो परिवार को शक हुआ। उसे पहले जिला अस्पताल ले जाया गया, फिर हालत गंभीर होने पर नोएडा के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किया गया।

ब्रजेश के भाई संदीप कुमार ने मीडिया को बताया, “उसने पानी पीने में हिचकिचाहट दिखाई, जो बाद में रेबीज के लक्षणों की पुष्टि थी। सरकारी अस्पतालों ने भर्ती करने से इनकार किया, और जब तक नोएडा पहुंचे, बहुत देर हो चुकी थी।” ब्रजेश की मौत 29 जून को रास्ते में हो गई जब परिवार एक पारंपरिक इलाज के लिए मथुरा जा रहा था।


कोच और परिवार की लापरवाही का दर्द

ब्रजेश के कोच प्रवीण कुमार ने बताया, “उसे लगा कि यह मामूली चोट है जो अभ्यास के दौरान लगी है। उसे अंदाज़ा ही नहीं था कि इतनी मामूली सी बात इतनी बड़ी त्रासदी बन जाएगी।”

ब्रजेश अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था। भाई संदीप ने सरकार से मदद की मांग करते हुए कहा, “हमारी आजीविका उसी पर टिकी थी। हमें किसी तरह की सरकारी सहायता और नौकरी मिलनी चाहिए।”


रेबीज क्या है और इससे कैसे बचें?

रेबीज एक घातक वायरस है जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच से फैलता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और एक बार लक्षण दिखने पर इसका इलाज लगभग असंभव होता है।

लक्षण:
  • बुखार, घाव के आसपास झनझनाहट
  • पानी से डरना (हाइड्रोफोबिया)
  • चिड़चिड़ापन, भ्रम, पक्षाघात
  • मौत तक हालत तेजी से बिगड़ती है
प्रकार:
  • Furious Rabies: अति सक्रियता, डर, भ्रम
  • Paralytic Rabies: धीरे-धीरे शरीर में लकवा

बचाव के तरीके

  • कुत्तों का टीकाकरण: यह सबसे प्रभावी तरीका है वायरस को मूल स्रोत से खत्म करने का।
  • जागरूकता अभियान: काटने या खरोंच लगने के बाद तुरंत धोना और चिकित्सा लेना अनिवार्य है।
  • मानव वैक्सीनेशन: संभावित संपर्क के बाद जल्द से जल्द वैक्सीन लें।

सरकारी पहल और चेतावनी

ब्रजेश की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव का दौरा किया, 29 ग्रामीणों को टीका लगाया और जागरूकता अभियान शुरू किया।


निष्कर्ष: लापरवाही की कीमत एक जीवन

ब्रजेश सोलंकी का जाना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे खेल जगत की क्षति है। उनकी कहानी चेतावनी है कि कभी भी किसी पशु के काटने को हल्के में न लें

👉 यदि किसी जानवर ने काटा है या खरोंचा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और रेबीज वैक्सीन जरूर लगवाएं।


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