📰 मुख्य हाइलाइट्स:
- सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी सांसदों का संसद परिसर में प्रदर्शन
- ‘SIR लोकतंत्र पर वार’ का बैनर, नारेबाजी और लगातार सात दिन का विरोध
- विपक्ष ने मतदाताओं को वंचित करने का लगाया आरोप, संसद में बहस की मांग
बिहार में SIR को लेकर संसद तक छिड़ी जंग
बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य विपक्षी सांसदों ने बुधवार को संसद भवन परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। यह विरोध लगातार सातवें दिन भी जारी रहा।
🧷 “SIR लोकतंत्र पर वार” — विपक्ष का तीखा हमला
संसद के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस और INDIA गठबंधन के अन्य सांसद ‘SIR रोकें’ की तख्तियां लेकर संसद परिसर में इकट्ठा हुए। ‘SIR- लोकतंत्र पर वार’ लिखे बड़े बैनर के साथ उन्होंने लोकतांत्रिक प्रणाली पर खतरे का संकेत दिया। प्रदर्शन संसद के मकर द्वार की सीढ़ियों और उसके पास किया गया।
इस विरोध में कांग्रेस, DMK, TMC, समाजवादी पार्टी, RJD, और वामपंथी दलों के सांसद शामिल हुए। सभी ने एकजुट होकर नारेबाजी की और SIR को तत्काल वापस लेने की मांग की।
🧩 क्या है SIR और क्यों हो रहा है विरोध?
चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया है। विपक्ष का दावा है कि यह कवायद चुनाव से पहले मतदाताओं को उनके अधिकार से वंचित करने की साजिश है।
वे यह मांग कर रहे हैं कि संसद के दोनों सदनों में इस पर चर्चा हो और आयोग के फैसले की समीक्षा हो।
🗣️ विपक्ष के आरोप
- “यह मतदाता अधिकार पर हमला है।”
- “चुनाव आयोग सरकार के दबाव में काम कर रहा है।”
- “यह कदम जनतंत्र को कमजोर करेगा।”
विपक्ष का कहना है कि SIR के जरिए बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की जा सकती है, जिससे राजनीतिक संतुलन बिगड़ सकता है।
🏛️ संसद में बना बड़ा मुद्दा
विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में इस विषय को उठाया है। वे लगातार चर्चा की मांग कर रहे हैं और सरकार से जवाब चाहते हैं कि SIR की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष कैसे है।
📈 राजनीतिक असर और आगे की राह
बिहार जैसे संवेदनशील राज्य में मतदाता सूची से जुड़ी कोई भी गतिविधि राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। आने वाले चुनावों में इसका सीधा असर देखने को मिल सकता है। यदि विपक्ष इस मुद्दे को बड़े जनांदोलन का रूप देता है, तो यह राष्ट्रीय बहस का केंद्र बन सकता है।
📌 निष्कर्ष:
बिहार की मतदाता सूची को लेकर संसद से सड़क तक विपक्ष के तेवर बेहद सख्त हैं। SIR के जरिए चुनाव आयोग पर लगे आरोप अगर बढ़ते हैं, तो यह मामला लोकतंत्र, पारदर्शिता और मतदाता अधिकारों से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
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