सारांश :
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से किडनी से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे और दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। 5 अगस्त को ही उन्होंने अंतिम सांस ली, जो संयोगवश अनुच्छेद 370 हटाने की छठी वर्षगांठ भी है – वह ऐतिहासिक क्षण जिसमें मलिक की भूमिका बेहद अहम रही थी।
दुखद समाचार: सत्यपाल मलिक का निधन
भारत के एक वरिष्ठ और स्पष्टवक्ता राजनेता, सत्यपाल मलिक का मंगलवार 5 अगस्त को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित थे। हालत बिगड़ने पर उन्हें 11 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
मंगलवार को दोपहर 1 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से राजनीतिक और प्रशासनिक जगत में शोक की लहर फैल गई है।
📜 सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर
- सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ था।
- वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) और पहले जनता दल से भी जुड़े रहे।
- उन्होंने सांसद, राज्यसभा सदस्य, और फिर विभिन्न राज्यों के राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
जिन राज्यों में उन्होंने राज्यपाल का पद संभाला:
- बिहार (2017–2018)
- जम्मू-कश्मीर (2018–2019)
- गोवा (2019–2020)
- मेघालय (2020–2022)
🏔️ अनुच्छेद 370 और सत्यपाल मलिक की ऐतिहासिक भूमिका
सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के अंतिम पूर्ण राज्यपाल थे। उनके कार्यकाल में ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया, जिसने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया — जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।
यह एक ऐतिहासिक और संवेदनशील निर्णय था, और सत्यपाल मलिक उस समय राज्य की ज़िम्मेदारी संभाल रहे एकमात्र नेता थे। संयोग से, इस ऐतिहासिक फैसले की छठी वर्षगांठ पर ही उन्होंने अंतिम सांस ली।
🗣️ विवादों और मुखरता के लिए प्रसिद्ध रहे मलिक
सत्यपाल मलिक हमेशा अपने स्पष्ट और बेबाक बयानों के लिए जाने जाते रहे। वे कई बार सरकार की नीतियों पर भी खुलेआम सवाल उठाते रहे, जिससे उन्हें जनता के बीच सम्मान और चर्चा दोनों मिली।
विशेषकर, उन्होंने किसान आंदोलन, कॉर्पोरेट प्रभाव, और अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर अपने विचार निर्भीकता से रखे।
📸 राजनीति को विदा कह गए एक सच्चे प्रहरी
सत्यपाल मलिक के निधन से देश ने एक अनुभवी प्रशासक और स्पष्टवादी नेता को खो दिया है। उनके जीवन और कार्यशैली से आने वाली पीढ़ियों को सीखने और प्रेरणा लेने का अवसर मिलेगा।
📌 निष्कर्ष :
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का जाना भारतीय राजनीति की एक मजबूत और साहसी आवाज़ का शांत हो जाना है। उनका योगदान, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में, हमेशा याद किया जाएगा। 5 अगस्त को हुआ उनका निधन न केवल एक व्यक्ति का जाना है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक कालखंड के अंत जैसा है।
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❓अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
1. सत्यपाल मलिक का निधन कब और कहां हुआ?
5 अगस्त को दिल्ली के RML अस्पताल में, लंबी बीमारी के बाद।
2. उनकी उम्र कितनी थी?
वे 79 वर्ष के थे।
3. सत्यपाल मलिक किस-किस राज्य के राज्यपाल रहे हैं?
बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय।
4. क्या उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने में भूमिका निभाई थी?
जी हां, जब अनुच्छेद 370 हटाया गया, उस समय वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे।