भारत को युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए—यह संदेश दिया है देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने। शुक्रवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया जिस ओर बढ़ रही है, वह पूरी तरह से अनिश्चित और खतरनाक होती जा रही है। भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उसे अपनी रक्षा और भविष्य की सुरक्षा के लिए युद्ध की क्षमता बनाए रखनी होगी।
जियोपॉलिटिकल हालात पर गंभीर टिप्पणी
दिल्ली में सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्यूफैक्चर्स (SIDM) के आयोजन में बोलते हुए जनरल चौहान ने कहा:
- मौजूदा जियोपॉलिटिकल हालात विनाशकारी दिशा में जा रहे हैं।
- हर देश के सामने भविष्य को लेकर गंभीर अनिश्चितता खड़ी है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष ने पूरी दुनिया को हिला दिया है।
- इजरायल-हमास और इजरायल-हिजबुल्ला जैसे टकराव और भी गहराने की संभावना है।
उन्होंने साफ कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी भी परिस्थिति में तैयार रहना होगा।
शांति के लिए “मारक क्षमता” जरूरी
जनरल चौहान ने कहा:
“भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन शांति बनाए रखने के लिए प्रतिरोधक क्षमता ही सबसे विश्वसनीय उपाय है। एक शांतिप्रिय देश को भी पर्याप्त मारक क्षमता यानी ‘दांत’ रखने चाहिए।”
इस दौरान उन्होंने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत को हमेशा तैयार रहना चाहिए—क्योंकि केवल ताकतवर राष्ट्र ही शांति को सुरक्षित रख सकते हैं।
युद्ध और मानव स्वभाव
सीडीएस चौहान ने रक्षा उद्योग से जुड़े नेताओं को संबोधित करते हुए युद्ध के गहरे प्रभाव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा:
- युद्ध मानव स्वभाव और सभ्यता का हिस्सा रहा है।
- इतिहास गवाह है कि युद्ध केवल एक विजेता को स्वीकार करता है।
- रनर-अप की कोई जगह नहीं होती।
उनका यह बयान साफ संकेत देता है कि भारत की सुरक्षा नीति अब केवल डिफेंसिव नहीं बल्कि प्रो-एक्टिव होनी चाहिए।
भविष्य की चुनौतियां और रक्षा नीति
जनरल चौहान के बयान से साफ झलकता है कि भारत को भविष्य के लिए इन बिंदुओं पर ध्यान देना होगा:
- स्वदेशी रक्षा उद्योग को मजबूत करना।
- तकनीकी और रणनीतिक क्षमता में आत्मनिर्भरता।
- आधुनिक युद्ध तकनीक जैसे साइबर वारफेयर और स्पेस सिक्योरिटी पर निवेश।
- पड़ोसी देशों से संभावित खतरे को लेकर सतर्क रहना।
भारत पहले ही रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को आगे बढ़ा रहा है और CDS का यह संदेश उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सारांश (Highlights)
- CDS अनिल चौहान ने कहा कि भारत को युद्ध के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
- जियोपॉलिटिकल माहौल लगातार अनिश्चित और खतरनाक होता जा रहा है।
- रूस-यूक्रेन और पश्चिम एशिया संघर्ष का उदाहरण दिया।
- भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन मारक क्षमता रखना जरूरी है।
- युद्ध मानव स्वभाव और सभ्यता का अभिन्न हिस्सा है।
निष्कर्ष
CDS अनिल चौहान का यह बयान केवल चेतावनी नहीं बल्कि रणनीतिक संदेश भी है। भारत शांति की राह पर चलता है, लेकिन जब दुनिया अस्थिर हो तो शांति बनाए रखने के लिए ताकत और तैयारी दोनों अनिवार्य हो जाते हैं। आने वाले वर्षों में भारत की रक्षा नीति में यह विचार गहराई से शामिल होता दिखाई देगा।
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FAQs
Q1. CDS अनिल चौहान ने भारत को युद्ध के लिए तैयार रहने की बात क्यों कही?
👉 उन्होंने कहा कि मौजूदा जियोपॉलिटिकल माहौल अनिश्चित और खतरनाक है, इसलिए भारत को सतर्क रहना होगा।
Q2. क्या भारत युद्ध चाहता है?
👉 नहीं, भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन शांति बनाए रखने के लिए रक्षा क्षमता बनाए रखना जरूरी है।
Q3. उन्होंने कौन सी कविता का उदाहरण दिया?
👉 उन्होंने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता का जिक्र किया।
Q4. CDS चौहान ने किन संघर्षों का हवाला दिया?
👉 रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास और इजरायल-हिजबुल्ला संघर्ष।
Q5. CDS के बयान का भारत की रक्षा नीति पर क्या असर होगा?
👉 इससे आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन, मारक क्षमता और रणनीतिक तैयारियों पर और जोर दिया जाएगा।