हिमाचल पूर्ण साक्षर राज्य बनकर देश के शिक्षा इतिहास में दर्ज हो गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में आयोजित कार्यक्रम में यह ऐलान किया कि राज्य की साक्षरता दर 99.30% तक पहुंच चुकी है। यह उपलब्धि केंद्र की उल्लास योजना के तहत संभव हुई, और हिमाचल को त्रिपुरा, मिजोरम और गोवा के बाद चौथे “पूर्ण साक्षर राज्य” का दर्जा मिला।
“पूर्ण साक्षर राज्य” का मतलब क्या है?
शिक्षा मंत्रालय के मानकों के अनुसार—
- किसी राज्य की 15 वर्ष से अधिक आयु की 95% से अधिक आबादी पढ़ने, लिखने और बुनियादी गणना करने में सक्षम हो
- तभी उसे “पूर्ण साक्षर राज्य” घोषित किया जाता है
हिमाचल प्रदेश इस मानक से कहीं आगे निकल गया है और अब 99.30% की साक्षरता दर हासिल कर चुका है।
हिमाचल की उपलब्धि कैसे हुई संभव?
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि यह सफलता दशकों की मेहनत और सुधारों का नतीजा है।
- शुरुआती स्थिति: स्वतंत्रता के बाद राज्य की साक्षरता दर मात्र 7% थी
- वर्तमान: 99.30% साक्षरता
- मुख्य वजहें:
- शिक्षक-छात्र अनुपात में हिमाचल देश में पहले स्थान पर
- प्राथमिक शिक्षा पर विशेष फोकस
- महिलाओं और ग्रामीण आबादी तक शिक्षा की पहुंच
- उल्लास योजना के तहत डिजिटल और ऑफलाइन माध्यमों से शिक्षा
“उल्लास” योजना: साक्षरता का बड़ा अभियान
- शुरूआत: 2022, ₹1,037.9 करोड़ की लागत से
- उद्देश्य: औपचारिक शिक्षा से वंचित लोगों को साक्षर बनाना
- अवधि: 2027 तक
- अब तक:
- 2.97 करोड़ शिक्षार्थी जुड़े
- 45 लाख स्वयंसेवक सहयोग कर रहे
- डिजिटल मोड + प्रत्यक्ष प्रशिक्षण
- 26 भारतीय भाषाओं में सामग्री उपलब्ध
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार, 1.83 करोड़ शिक्षार्थियों ने पहले ही मूल्यांकन पूरा किया और 90% सफलता दर हासिल की।
किन राज्यों ने अब तक पाया “पूर्ण साक्षर” दर्जा?
- गोवा: 99.5%
- हिमाचल प्रदेश: 99.3%
- मिजोरम: 98.2%
- त्रिपुरा: 95.6%
- लद्दाख (केंद्र शासित प्रदेश): 97%
शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त सचिव अर्चना शर्मा अवस्थी ने कहा कि इस वर्ष के अंत तक 10 और राज्यों के पूर्ण साक्षर बनने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री का संदेश
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा:
- भारत की साक्षरता दर 2011 में 74% से बढ़कर 2023-24 में 80.9% हो चुकी है
- हिमाचल सहित अन्य राज्यों की उपलब्धि सामूहिक प्रयास का प्रमाण है
- उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम अब वास्तव में “समावेशी शिक्षा” का स्वरूप ले चुका है
हिमाचल के लिए ऐतिहासिक दिन
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा:
“लगभग 7% की साक्षरता से आज 99.3% तक का सफर चुनौतियों भरा था, लेकिन हिमाचल ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सबकी भागीदारी से यह मुकाम हासिल किया।”
यह उपलब्धि न केवल हिमाचल बल्कि पूरे देश के लिए शिक्षा और विकास का नया आदर्श है।
FAQs
Q1. “पूर्ण साक्षर राज्य” किसे कहा जाता है?
जब 15 वर्ष से अधिक आयु की 95% से अधिक आबादी पढ़ने, लिखने और गणना में सक्षम हो।
Q2. हिमाचल प्रदेश की वर्तमान साक्षरता दर कितनी है?
99.30%, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है।
Q3. “उल्लास योजना” कब शुरू की गई थी?
2022 में, ₹1,037.9 करोड़ के बजट से।
Q4. अब तक कितने राज्य “पूर्ण साक्षर” घोषित हो चुके हैं?
त्रिपुरा, मिजोरम, गोवा और अब हिमाचल; साथ ही लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश।
Q5. “उल्लास” योजना का उद्देश्य क्या है?
औपचारिक शिक्षा से वंचित लोगों को बुनियादी पढ़ाई-लिखाई और गणना में सक्षम बनाना।
Summary Points
- हिमाचल बना देश का चौथा “पूर्ण साक्षर राज्य”
- साक्षरता दर 99.30% तक पहुंची
- उपलब्धि उल्लास योजना और शिक्षा सुधारों का परिणाम
- इससे पहले गोवा, मिजोरम और त्रिपुरा को मिला दर्जा
- शिक्षा मंत्रालय ने इसे देश के लिए प्रेरणादायक बताया
सारांश
हिमाचल पूर्ण साक्षर राज्य बनना सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि शिक्षा और समान अवसर की जीत है। यह उपलब्धि बताती है कि अगर सरकार, समाज और स्वयंसेवक मिलकर काम करें तो असंभव भी संभव हो सकता है। यह कदम भारत को “शिक्षित और आत्मनिर्भर राष्ट्र” बनाने की दिशा में बड़ा मील का पत्थर है।
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