आज, 27 जून 2025 (शुक्रवार) को ओडिशा के पुरी में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत हुई। इस भव्य आयोजन में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को आलीशान रथों में सजाकर श्रीमंदिर से गुंडीचा मंदिर तक यात्रा निकाली गई। यह यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को शुरू होती है और यह श्रृंखला ‘नबजौबन दर्शन’, ‘हेरा पंचमी’, ‘बहुड़ा यात्रा’ जैसी रस्मों के साथ 8 जुलाई तक चलती है । जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 | पुरी रथ यात्रा.
पुरी में सुरक्षा‑व्यवस्था और तैयारियाँ
- मल्टी‑लेयर सुरक्षा: पहली बार NSG कमांडो, एंटी‑टेररिस्ट स्क्वाड (ATS), CRPF, RAF समेत 10,000+ पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं ।
- AI‑सक्षम CCTV व ड्रोन: भीड़, तटीय क्षेत्र और सड़कों पर निगरानी के लिए एआई कैमरे व ड्रोन तैनात।
- NSG स्निपर व हेलिकॉप्टर: छतों और एयरस्पेस पर नजर रखने के लिए NSG स्निपर व एयर फोर्स अधिकारियों के साथ हेलीकॉप्टर मौजूद ।
- मॉक‑ड्रिल्स: बलियापंदा समेत अन्य जगहों पर स्पेशल टैक्टिकल यूनिट ने मॉक‑ड्रिल आयोजित कर आपातकालीन प्रतिक्रिया जांची ।
- ट्रैफिक व यातायात प्रबंधन: 203 पुलिस पलटन, 21 पार्किंग जोन, पाँच होल्डिंग एरिया व शटल सेवा का इंतज़ाम
- समुद्र तट सुरक्षा: तटीय इलाकों में नौसेना‑कोस्टगार्ड गश्त, अस्थायी चौकियाँ, और लाइफगार्ड बढ़ाए गए ।
- स्वास्थ्य व राहत समर्पण: मेडिकल कैंप, बुजुर्गों व differently‑abled भक्तों के लिए सहायता केन्द्र भी बनाए गए।
पुरी रथ यात्रा का मार्ग, रस्में और परंपरा
- रथों का विवरण:
- भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’ (लाल‑पीला, लगभग 45 ft ऊँचा, 16 पहिए)
- बलभद्र का रथ ‘तालध्वज’ (नीला‑लाल, 14 पहिए)
- सुभद्रा का रथ ‘दर्पदलन’ (काला‑लाल, 12 पहिए)।
- रास्ता: यह यात्रा लगभग 3 किलोमीटर चलते हुए ग्रैंड रोड (“बड़ा डांडा”) से गुंडीचा मंदिर तक जाती है ।
- परंपरागत रस्में:
- छेरापहरा: गजपति राजा स्वयं रथ के आगे झाड़ू लगाते हैं ।
- दाहुका बोली: विशेष गीत, रथ खींचने से पूर्व गाए जाते हैं
रायपुर में रथ यात्रा का उत्साह
रायपुर में भी आज, 27 जून को अलग‑अलग मंदिरों (गायत्री नगर, टूरी‑हटरी) में रथ यात्रा निकाली जा रही है। मुख्य बिंदु:
- 500 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से भव्य रथ प्रस्थान
- महाप्रसाद: 10 क्विंटल चावल व सूखे मेवे से तैयार।
- छेरापहरा रस्म के लिए पुरी से स्वर्ण झाड़ू मंगवाई ।
- मुख्यमंत्री भी शामिल: उम्मीद है कि राज्य‑स्तरीय कार्यक्रम आयोजित हुए ।
भीड़‑व्यवस्था और यात्रियों के लिए सुझाव
- भीड़ अधिकांश सुबह 9‑12 बजे तक भारी रहती है, शाम को थोड़ी कम भीड़ ।
- पानी, हैट, सनस्क्रीन, पावर‑बैंक साथ रखें; बुजुर्गों और बच्चों का खास ध्यान रखें।
- मोबाइल नेटवर्क भीड़ में धीमा होता है, इसलिए पहले से मीटिंग पॉइंट तय करें ।
- संदिग्ध वस्तु दिखे तो तुरन्त पुलिस को सूचित करें; निर्देशों का पालन करें ।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की शुभकामनाएँ
प्रधानमंत्री मोदी ने जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 के शुभ अवसर पर देशवासियों को उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि की मंगलकामना की है। वहीं मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा करते हुए “शांतिपूर्ण, सुचारु और सुरक्षित आयोजन” पर बल दिया ।
रथ यात्रा की सांस्कृतिक महत्ता
- यह यात्रा भक्ति, आस्था और सामूहिक एकता का प्रतीक है; मोक्ष की अनुभूति हर भक्त को रथ खींचने से होती मानी जाती है ।
- पुरी यात्रा पर्यावरण‑अनुकूल: प्लास्टिक‑मुक्त प्रयास चल रहा है; लाइव स्ट्रीमिंग व हेल्पलाइन भी काम कर रही है
- जीर्ण‑शीर्ष भोजन, संगीत, भजन‑कीर्तन, सामुदायिक प्रसाद: सब मिलकर उत्सव को और रंगीन बनाते हैं।
निष्कर्ष और मुख्य बिंदु
पहलू | विवरण |
---|---|
तिथि | 27 जून 2025 |
स्थान | पुरी (मुख्य), रायपुर (स्थानीय समारोह) |
सुरक्षा | मल्टी‑लेयर, ATS, NSG, AI कैमरे |
भीड़ अनुमान | पुरी: 10 लाख+, रायपुर: हजारों |
यात्रियों के उपाय | पहले से योजना, पहचान, हेल्थ, नेटवर्क |
यह यात्रा आस्था, संस्कृति, सुरक्षा और भक्ति का उत्सव है। भक्तजन और दर्शनार्थी पूरी सावधानी, अनुशासन और श्रद्धा के साथ इसमें सम्मिलित हों। जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 | पुरी रथ यात्रा.
FAQs
पूरी यात्रा कितने दिन चलती है?
समारोह लगभग 27 जून से शुरू होकर नीलाद्रि विजय तक (आस-पास 8 जुलाई) तक चलता है ।
क्या रथ खींचने के लिए पास चाहिए?
नहीं, भक्त, परिवार और श्रद्धालु स्वयं रथ खींच सकते हैं, बस सुरक्षा मानदंडों का पालन करें ।
क्या रथ यात्रा लाइव देख सकते हैं?
जी हाँ, मंदिर प्रबंधन की वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर लाइव‑स्ट्रीम की सुविधा उपलब्ध है ।
इन न्यूनतम सुरक्षा उपायों में क्या‑क्या शामिल है?
एम्प्लॉयमेंट में शामिल हैं: ATS, NSG, CCTV, ड्रोन, शटल‑बस, हेल्थ कैंप और सामुदायिक जागरूकता अभियान ।
क्या बच्चों या बुजुर्गों के लिए विशेष व्यवस्था है?
जी हाँ, सहायता केन्द्र, चिकित्सा कैंप और यातायात‑प्रबंधन केंद्रित व्यवस्था रखी गयी है।
पर्यावरण‑हितैषी आयोजन कैसे है?
इस बार प्रयास हो रहा है यात्रा को प्लास्टिक‑मुक्त बनाने का और लोक‑संस्कृति व सामुदायिक भजन‑संस्कृति को बढ़ावा देने का ।