Introduction
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने वन नेशन वन इलेक्शन के पक्ष में बड़ा बयान देते हुए कहा कि देश में बार-बार होने वाले चुनावों से मतदाता थक जाते हैं और शासन भी बाधित होता है। शनिवार को दिल्ली में आयोजित Entrepreneurs & Traders Leadership Summit में उन्होंने कहा कि यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे, तो मतदाता सहभागिता बढ़ेगी, खर्च कम होगा और प्रशासनिक कामकाज भी सुचारू रहेगा।
गोयल का तर्क: बार-बार चुनाव से जनता ऊब जाती है
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होने से जनता और शासन दोनों प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा—
“लोग वोटिंग से थक जाते हैं, बार-बार वोट डालने से ऊब जाते हैं।”
उनके अनुसार जब-जब आदर्श आचार संहिता लागू होती है, प्रशासनिक कामकाज रुक जाता है, जिससे विकास कार्यों पर असर पड़ता है। उन्होंने आंध्र प्रदेश और ओडिशा का उदाहरण दिया, जहां एक साथ चुनाव होने पर मतदान प्रतिशत अधिक रहता है।
स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर तक एक्शन कमेटियों की वकालत
गोयल ने जिला से लेकर राज्य स्तर तक अखिल भारतीय एक्शन कमेटी बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने उद्योग जगत के नेताओं और व्यापारिक समुदाय से अपील की कि वे वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थन में सामूहिक जिम्मेदारी निभाएं।
उन्होंने कहा कि जाति और भाषा के विभाजन से ऊपर उठकर यदि यह पहल होती है तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था को और मजबूत बनाएगी।
वन नेशन-वन इलेक्शन का प्रस्ताव क्या है?
इस प्रस्ताव के तहत लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की बात है।
- इससे प्रशासनिक खर्च में भारी कमी आएगी।
- बार-बार आचार संहिता लागू होने से रुकने वाले सरकारी काम प्रभावित नहीं होंगे।
- शासन स्थिर रहेगा और मतदाता की भागीदारी बढ़ेगी।
लेकिन इसे लागू करने के लिए लगभग 18 कानूनों में संशोधन करने होंगे, जिनमें से 15 संवैधानिक संशोधन होंगे। ये संशोधन विधानसभा की अवधि, भंग करने के नियम, परिसीमन और चुनाव आयोग की शक्तियों से जुड़े अनुच्छेदों को प्रभावित करेंगे।
समर्थन और विरोध
- भाजपा का पक्ष: इससे खर्च घटेगा और शासन बेहतर होगा।
- विपक्ष का आरोप: यह राज्यों की स्वायत्तता और लोकतंत्र पर हमला है। कई दलों ने इसे तानाशाही और असंवैधानिक बताया है।
पीएम मोदी की दृष्टि से जुड़ा प्रयास
पीयूष गोयल ने कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों को और मजबूती देता है और इससे आर्थिक दृष्टि भी सुदृढ़ होगी।
बिहार वोटर लिस्ट संशोधन पर टिप्पणी
गोयल ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए Special Intensive Revision (SIR) की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया गैर-नागरिक घुसपैठियों से चुनावी व्यवस्था को सुरक्षित बनाएगी और पात्र मतदाता को वंचित नहीं करेगी।
Summary Highlights
- पीयूष गोयल ने वन नेशन-वन इलेक्शन को समय और धन बचाने का उपाय बताया।
- कहा कि बार-बार चुनाव से जनता थकती है और प्रशासन बाधित होता है।
- आंध्र प्रदेश और ओडिशा का उदाहरण देकर एक साथ चुनाव का समर्थन किया।
- विपक्ष ने इस प्रस्ताव को तानाशाही और असंवैधानिक करार दिया।
- बिहार में मतदाता सूची संशोधन की पहल को गोयल ने सराहा।
Conclusion
पीयूष गोयल का यह बयान स्पष्ट करता है कि सरकार वन नेशन-वन इलेक्शन के विचार को गंभीरता से आगे बढ़ा रही है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए संवैधानिक बदलावों और राजनीतिक सहमति की जरूरत होगी। आने वाले समय में यह बहस भारतीय राजनीति का बड़ा मुद्दा बनने वाली है।
आपको क्या लगता है, वन नेशन-वन इलेक्शन से लोकतंत्र मजबूत होगा या राज्यों की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं।
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