🗞️ सारांश :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगस्त 2025 में पहली बार चीन का दौरा करेंगे, जो 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद उनकी पहली यात्रा होगी। यह दौरा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के लिए है, जहां वे शी जिनपिंग और अन्य वैश्विक नेताओं से मिलेंगे। इस यात्रा के माध्यम से भारत-चीन के तनावपूर्ण रिश्तों में सुधार की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
🇮🇳 पीएम मोदी चीन दौरे पर : गलवान के बाद पहली बड़ी कूटनीतिक पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने चीन में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं। यह दौरा खास इसलिए है क्योंकि जून 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद यह मोदी का पहला चीन दौरा है। इस दौरे को भारत और चीन के बीच जमी बर्फ को पिघलाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
🔴 क्या है SCO शिखर सम्मेलन?
SCO समिट का आयोजन चीन में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक होगा। इस सम्मेलन में 20 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल होंगे। भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान और मध्य एशियाई देशों के नेता यहां बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
🤝 मोदी-शी की पिछली मुलाकात और नए समीकरण
प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछली मुलाकात अक्टूबर 2024 में रूस में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। हालांकि, तब दोनों देशों के बीच संवाद सीमित था। इस बार उम्मीद है कि SCO समिट में दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हो सकती है।
✈️ जापान के रास्ते चीन पहुंचेंगे पीएम मोदी
चीन दौरे से पहले पीएम मोदी 30 अगस्त को जापान जाएंगे, जहां वह प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ वार्षिक शिखर बैठक में हिस्सा लेंगे। यह कूटनीतिक यात्रा व्यापार सहयोग, सुरक्षा, और तकनीकी भागीदारी जैसे मुद्दों को गति देने के लिए अहम मानी जा रही है।
⚠️ अमेरिका की धमकियों के बीच मोदी की चीन यात्रा
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को रूस से तेल खरीदने को लेकर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है। ट्रंप ने BRICS देशों पर अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि,
“अगर डॉलर का दबदबा खत्म हुआ, तो यह किसी विश्व युद्ध को हारने जैसा होगा।”
इस कूटनीतिक पृष्ठभूमि में मोदी का चीन दौरा बहुपक्षीय संतुलन और भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास है।
🧭 गलवान घाटी संघर्ष: जिसने रिश्तों में दरार ला दी
15 जून 2020 को गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। उस संघर्ष में चीन को भी बड़ा नुकसान हुआ था, लेकिन उसने कभी यह स्वीकार नहीं किया। इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते बुरी तरह बिगड़ गए और उच्च स्तरीय संवाद लगभग ठप हो गया। यह यात्रा इन दरारों को भरने का प्रयास मानी जा रही है।
🔍 भारत-चीन संबंधों में संभावित बदलाव?
- द्विपक्षीय वार्ता के संकेत
- व्यापार व निवेश बहाली की उम्मीद
- सीमाओं पर शांति बहाल करने की चर्चा
- SCO मंच से वैश्विक सहयोग को मजबूती
✅ निष्कर्ष :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह चीन यात्रा सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भागीदारी भर नहीं है, बल्कि यह भारत की कूटनीतिक रीसेट की शुरुआत भी हो सकती है। गलवान संघर्ष के बाद दोनों देशों के रिश्तों में जो कड़वाहट आई थी, वह इस दौरे से कम हो सकती है, बशर्ते चीन भी ईमानदारी से संवाद के लिए तैयार हो।
🌏 क्या पीएम मोदी की यह यात्रा भारत-चीन रिश्तों में नया अध्याय लिखेगी?
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🧠 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
Q1. पीएम मोदी की चीन यात्रा का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में भाग लेने जा रहे हैं, साथ ही भारत-चीन संबंधों में सुधार की कोशिश की जा रही है।
Q2. क्या पीएम मोदी शी जिनपिंग से मिलेंगे?
उत्तर: संभावना है कि समिट के दौरान उनकी द्विपक्षीय बैठक हो सकती है।
Q3. गलवान घाटी में क्या हुआ था?
उत्तर: जून 2020 में भारत-चीन सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे।